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    12.03.2025 : होलिस्टिक हेल्थ एंड रिसर्च सेंटर द्वारा आयोजित इस 8वें वार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी में संबोधन

    Publish Date: March 12, 2025

    होलिस्टिक हेल्थ एंड रिसर्च सेंटर द्वारा आयोजित इस 8वें वार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी में संबोधन
    12 मार्च, 2025

    आज, सिक्किम होलिस्टिक हेल्थ एंड रिसर्च सेंटर द्वारा आयोजित इस 8वें वार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी में उपस्थित होना मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता की बात है। यह मंच न केवल योग और प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व को उजागर कर रहा है, बल्कि इसे हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की दिशा में भी प्रेरित कर रहा है।
    योग हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन को बनाए रखने का साधन है। इसी प्रकार, प्राकृतिक चिकित्सा हमें प्रकृति से जुड़ने और बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है। यह दोनों ही उपक्रम न केवल रोगों के उपचार की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं, बल्कि उनके मूल कारणों को समझकर हमें स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा भी देते हैं।
    भारत, अपनी प्राचीन परंपराओं और ज्ञान के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है, साथ ही यह प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में भी अग्रणी रहा है।
    महात्मा गांधी जी ने प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाते हुए इसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाया। सेवाग्राम में बापू कुटी में स्थित उनका स्वास्थ्य आश्रम इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इस विरासत को आगे बढ़ते हुए हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल से ‘योग’ आज जनसाधारण तक पहुंच पाया है और लोगों में योग के प्रति जागरूकता विकसित हुई है ।
    हम यह कह सकते हैं कि जब से योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है तब से लोगों में योग के प्रति जागरूकता और भी बढ़ गई है । योग के कारण हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा और धरोहर को एक पहचान मिली है । निश्चित रूप से यह हमारे देश के लिए बड़ी उपलब्धि व प्रतिष्ठा की बात है।
    आज के बच्चे कल के भविष्य हैं, इसलिए यहां उपस्थित सभी अभिभावकों और शिक्षकों से मैं अनुरोध करता हूं कि आप सभी अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही योग करने का अभ्यास करवाएं ताकि यह उनके रोजमर्रा के जीवन शैली में शामिल होकर उन्हें एक अच्छा और स्वस्थ नागरिक बनने में मदद करे। इससे हमारे परिवार के साथ- साथ एक अच्छे समाज और एक अच्छे भविष्य का निर्माण संभव हो सकेगा ।
    आइए, हम सब मिलकर इस प्राचीन और प्रभावी चिकित्सा पद्धति को अपनाएं और इसे आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाएं। यह न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा, बल्कि हमारी भारतीय चिकित्सा ज्ञान परंपरा को भी संरक्षित करेगा।

    सिक्किम की की प्रकृति दोनों योग के लिए बेहद अनुकूल है। सिक्किम में योग केवल स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का भी आधार है। हम राज्य के कोने-कोने में wellness सेंटर खोल कर प्रत्येक गाँव को आत्मनिर्भर बना सकते हैं । हमारा राज्य स्वास्थ्य पर्यटन का केंद्र बनने में सक्षम है।
    जैव विविधिता, असंख्य जड़ी-बूटियाँ से समृद्ध प्रदेश का नाम है- सिक्किम। मुझे यह कहते हुए खुशी होती है कि हमारा राज्य न केवल पर्यावरण के संरक्षण में अग्रणी है, बल्कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से स्वास्थ्य और कल्याण को भी बढ़ावा देता है।

    आइए, हम सब मिलकर योग और प्राकृतिक चिकित्सा को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें और स्वच्छ भारत मिशन और स्वस्थ समाज के निर्माण की इस यात्रा में एकजुट होकर आगे बढ़ें । मेरी जानकारी के अनुसार, 2005 में अपनी स्थापना के बाद से इस संस्था ने प्राकृतिक उपचार के माध्यम से कई रोगों का उपचार किया है और सफलता हासिल की है। मुझे विश्वास है कि यह संगोष्ठी ज्ञान के आदान-प्रदान के साथ समग्र स्वास्थ्य की दिशा में फलदायी सिद्ध होगी । इस अवसर पर मैं कहना चाहूँगा कि हमें पारंपरिक उपचार पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति के साथ एकीकृत करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए ।
    अंत में, मैं HHRC के निदेशक डॉ. अरुण प्रधान और उनकी समर्पित टीम को हार्दिक बधाई देता हूँ। योग और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में आपके प्रयास वास्तव में सराहनीय हैं । मुझे विश्वास है कि यह संगोष्ठी नए विचारों, नवाचरों और प्राकृतिक उपचार के प्रति लोगों को प्रेरित करेगी।
    अंत में मैं इन पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देना चाहूँगा :
    सर्वे भवन्तु सुखिनः
    सर्वे सन्तु निरामयाः ।
    सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
    माँ कश्चिद-दुःख-भाग-भवेत ।
    ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।।
    जय भारत ! जय सिक्किम!