Close

    13.07.2023 : Speech of Hon’ble Governor of Sikkim on the occasion of Bhanu Jayanti 2023.

    Publish Date: July 13, 2023

    नेपाली साहित्य परिषद्, सिक्किमले वर्षेनी पालन गर्दै आइरहेको साहित्यिक पर्व भानुजयन्तीलाई यस वर्ष ‘हाम्रो अस्तित्व हाम्रो चिनारीको” रूपमा पालन गरी भाषालाई जीवन्त राख्ने पहल गरेकोमा सर्वप्रथम आयोजक संस्था प्रति हार्दिक बधाई एवम् शुभकामना व्यक्त गर्दछु। सिक्किमको साहित्यिक तथा सांस्कृतिक पर्व भानुजयन्तीलाई नेपाली साहित्य परिषद, सिक्किमले विगत चार दशकदेखि राज्यस्तरीय रूपमा अनि गत वर्षदेखि राष्ट्रियस्तरमा पालन गर्दै आएको जान्न पाउँदा मलाई खुशी को अनुभूति भइरहेको छ । साँचो अर्थमा भन्नु हो भने भाषा ले नई मानव सभ्यता लाई बचाइराखेको छ। त्यसैले बालकृष्ण सम ले भन्नु भयेको छ,

    भाषा हो सभ्यता हाम्रो
    सारा उदय उन्नति
    जित वैभव भाषा मई
    बाँच्दाछन पछि सम्मा यी

    यस अर्थमा भानुजयन्ती समारोह एउटा सुनौलो दिन पनि हो जब सिक्किम वासी हरू एकजुट भएर भाषा-साहित्य, कला तथा संस्कृति माथि चर्चा परिचर्चा गर्ने गर्छन् ।
    आधुनिक नेपाली भाषा को प्रवर्तक आदिकवि आचार्य ले समाजमा जातीय एवं सामुदायिक एकता ल्याएको कुरो इतिहासले स्पष्ट पारेको छ । उनले लोकको हितमा वाल्मीकिकृत रामायणको अनुवाद सरल र सहज भाषामा लेखि आम मानिसहरूलाई पनि अध्ययनतर्फ आकर्षित गरेको सर्वविदित छ । जाति, समुदाय र समाजको विकासका लागि उल्लेखनीय योगदान दिने यस्ता सचेत, दूरदर्शी र महान आत्मा लाई सर्वप्रथम म शत शत नमन गर्दछु।

    जब जब पनि महान पुरुषहरुले समाजको निम्ती काम गर्छन, उनीहरू अमर भएर जाने गर्छन् किनभने यस्ता महान पुरुष हरू कुनै पनि विशेष धर्म वा जातिका पेवा हुँदैनन्, उनी सबैका साझा सम्पत्ति हुन्छन। यस्ता समारोहहरू को आयोजन ले भाषा, संस्कृतिको संरक्षणमा सहयोग गर्नै गर्छ साथै राष्ट्रिय एकताको चेतना जगाउने कार्यमा पनि सहयोग गर्नै कार्य गर्छ।
    भानुभक्त आचार्य के समाज प्रति के योगदान स्वरुप नेपाली भाषियों में पढ़ने और लिखने में प्रोत्साहन मिला ,धार्मिक ग्रन्थ को पढ़ने की ललक ने लोगों में साक्षरता बढ़ी ।यह उनका अनुपम योगदान भाषा प्रति के उनके लगाव का प्रतिक है |

    हमें सदा उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए| उनकी अनुवादित रामायण से जीवन के हर क्षेत्रों में शिक्षा मिलती है|

    जब मैं सिक्किम राज्यपाल के रुप में आया, लोगों ने पुछा, सिक्किम कैसा है? मैंने कहा जिस प्रकार मिठाइयाँ खा कर उसके स्वाद को केवल अनुभव किया जा सकता है इतना सुंदर, सुसंस्कृत, स्वच्छ सिक्किम है |

    सिक्किम में सभी समुदाय की समृद्ध संस्कृति विराजमान है | विविधता में एकता, विभिन्न जातीय सद्भावना का स्वरूप यदि कहीं देखने को मिलता है तो यह मेरा सिक्किम राज्य है |
    विभिन्न जाति, समुदाय, संघ संस्था, विद्यार्थी, युवा तथा प्रौढ अर्थात् समाज के हरेक वर्ग को एक मंच पर लाकर इस प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन से समावेशी विचारधारा के साथ साथ भावी पीढ़ी में एकता की भावना का विजारोपण होता है |

    हमारा देश भारत ,ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं विभिन्न जाति ,पंथ विचारों के संगम का एक अनूठा देश है|हमारी समृद्ध विरासत में भाषा, संस्कृति व् परम्परा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं|भाषा किसी व्यक्ति, समाज, संस्कृति या राष्ट्र की पहचान होती हैl वास्तव में भाषा एक संस्कृति है, उसके भीतर भावनाएं, विचार और सदियों की जीवन पद्धति समाहित होती है l

    आज इस अवसर पर मैं कहना चाहूंगा कि हमें सदा अपनी जड़ों से जुड़ा रहना चाहिए ,जब तक हमारी जड़ें मजबूत हैं तभी हमारी शाखाएं मजबूत होंगी |हम मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं ,और हमारा लगाव सदा समाज से जुड़ा रहना चाहिए| इस प्रकार के कार्यक्रम साहित्य और सांस्कृतिक विरासत को मजबूती प्रदान करते हैं और उन्हें सुरक्षित रखने का कार्य करते हैं। हम अपनी भावी पीढ़ी को विरासत के रूप में अगर कुछ दे सकते हैं तो वह है हमारे संस्कार ,रीती रिवाज ,संस्कृति ,तभी हमारे युवा वर्ग साहित्य और सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ा सकेंगे|

    मुझे लगता है कि भानुजयन्ती सिक्किम के सभी समुदायों का त्योहार है , जिसके माध्यम से समाज में एकता की भावना प्रबल हुई है | इस अवसर पर मैं सिक्किम वासियों से आपसी सम्बन्ध एवं भाइचारा को मजबूत करने का आग्रह करता हूँ ।

    भर् जन्म घाँस तिर मन् दिई धन कमायो
    नाम क्यै रहोस् पछि भनेर कुवा खनायो
    घाँसी दरिद्र घरको तर बुद्धि कस्तो
    म भानुभक्त धनी भैकन किन यस्तो ।

    ये भानुभक्त आचार्य द्वारा लिखी गई पंक्तियाँ हमें याद दिलाती हैं कि वास्तविक संपत्ति संग्रह करने में नहीं, बल्कि हमारे चरित्र की गहराई में, समाज के लिए कुछ कर गुजरने में निहित हैं। वे हमें अपने समाज प्रति के कर्तव्य को पुनर्निर्धारित करने के लिए प्रेरित करती हैं।

    आज म नयाँ पीढीहरूलाई भन्ना चाहन्छु कि नयाँ साधनहरू र प्रगतिशील तकनीकलाई अपनाउ तर त्यसका साथै हामीले हाम्रो भाषा र सांस्कृतिक परंपरा को पनि संरक्षण गर्नुपर्छ। हाम्रो परम्पराहरू, भाषा र संस्कृति ले हाम्रो पहिचान, हाम्रो अस्तित्व लाई बचाएरा राख्छ ।हाम्रा संस्कृति, खानापिना ले हामीलाई चिनारी प्रदान गर्छ। अनि आज को समारोह को मूल विषय पनि यही नई हो , “हाम्रो अस्तित्व हाम्रो चिनारी” |

    यस प्रकार को आयोजन ले हाम्रो भाषा अनि संस्कृति को संवर्धन अनि संरक्षक सदैव भाई रहोस् अनि सुन्दर पहाडी राज्य सिक्किमको नाम र गरिमा बढेर जाओस् भन्ने आन्तरिक हृदय बाट कामना गर्दछु ।

    धन्यवाद! जय भारत !जय सिक्किम !