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    15.11.2024 : दीक्षांत अभिभाषण: सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय

    Publish Date: November 15, 2024

    दीक्षांत अभिभाषण: सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय
    15 नवंबर, 2024

    सिक्किम के राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालने और सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के 24 वें दीक्षान्त समारोह में आज आप सबसे मिलना प्रसन्नता की बात है।

    खास तौर पर आज विश्वविद्यालय में स्नातक उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों और उनके गौरवान्वित अभिभावकों के बीच उपस्थित होकर मैं अति प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। इस विशेष अवसर पर, मैं उपस्थित सभी पदक विजेताओं और स्नातक उपाधि प्राप्तकर्ताओं को उनकी लगन और मेहनत के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ। साथ ही, बधाई देता हूँ उनके अभिभावकों, माता-पिता को जिन्होंने त्याग और समर्पण से उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है।
    सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय ने अपने स्थापना काल से ही अनेक मील के पत्थर स्थापित किए हैं और आज यह विश्वविद्यालय देश के उच्चतर शिक्षा मानचित्र में अपना विशिष्ट एवं प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कर चुका है। प्रसन्नता है कि यहाँ से शिक्षा प्राप्त स्नातक प्रतिस्पर्धी विश्व भर में अपने-अपने चयनित क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर रहें हैं |

    इसके लिए विश्वविद्यालय के शैक्षणिक संकाय तथा प्रबंधन को भी बधाई देता हूँ जो बच्चों को सक्षम बनाने के साथ -साथ उन्हें एक समग्र व्यक्तित्व निर्माण में भी सहयोग प्रदान करते हैं ताकि वे वैश्विक दायित्वों को आत्मविश्वास के साथ वहन कर सकें। आज, निःसंदेह, उत्तर पूर्व के इस खूबसूरत राज्य सिक्किम में यह विश्वविद्यालय उच्च आर्थिक विकास को गति प्रदान करते हुए उच्च शिक्षा की सार्थक भूमिका निभा रहा है। सिक्किम, तथा समग्र रूप से इस पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय के पास समुचित योगदान हेतु आवश्यक क्षमता, ज्ञान, शोध-अनुसंधान और संसाधन उपलब्ध हैं।
    यह सर्वविदित है कि स्थानीय, क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय विकासमूलक प्रयासों में महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उच्चतर शिक्षा और आर्थिक विकास एक-दूसरे से भिन्न रूप से जुड़े हैं। किसी क्षेत्र, राज्य या राष्ट्र के आर्थिक विकास को सफल बनने के लिए महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है |

    जैसे कि मुझे ज्ञात हुआ है कि सिक्किम राज्य में सन् 1995 तक न तो कोई विश्वविद्यालय था न ही कोई तकनीकी महाविद्यालय था। इसका अर्थ यह है कि हमारे बच्चों को उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए राज्य से बाहर जाना पड़ता था। हमारे बच्चों को कम कीमत पर अपने ही प्रदेश में उच्चतर शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध करवा कर एक असाधारण उदारहण प्रस्तुत किया है |
    किसी भी विश्वविद्यालय का यह दायित्व बनता है कि वह समूचे क्षेत्र में युवा पीढ़ी में प्रबोधन व ज्ञान फैलाने में अपनी उचित भूमिका निभाए ।
    शिक्षण का तरीका अब 21 वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुसार बदल गया है, और सरकार इस पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रहकर छात्रों को जीवन कौशल भी प्रदान करे, जिससे वे समाज में सफलतापूर्वक जीवन जी सकें। नई शिक्षा नीति 2020 हमारे देश के शिक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आई है| हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदर्शिता और नेतृत्व में 1986 के बाद एक ऐसी नीति को देख रहे हैं|
    यह जानकार प्रसन्नता हुई कि सिक्किम मणिपाल प्रौद्योगिकी संस्थान, तथा सिक्किम मणिपाल चिकित्सा विज्ञान संस्थानों, सेंट्रल रेफरल हॉस्पिटल, सिक्किम मणिपाल कॉलेज ऑफ नर्सिंग के अतिरिक्त, सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय में सिक्किम मणिपाल कॉलेज ऑफ फीजियोलॉजी, स्कूल ऑफ बेसिक एंड एलायड साइन्सेस एवं मानविकी व सामाजिक विज्ञान विभाग की स्थापना के साथ विस्तार हो चुका है।

    दुनिया में ऐसी कोई समस्या, संकट नहीं है जिसे हम आपस में मिलजुल कर हल नहीं कर सकते। इतिहास गवाह है कि असंभव संभव हो सकता है। आप लोगों की आज की उपलब्धियाँ इस तथ्य के प्रमाण हैं। हर विद्यार्थी को स्वयं पर गर्व होना चाहिए। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न व्यवधानों के बावजूद आपने अपने सपनों का साकार किया है।
    इस अवसर पर मैं स्वामी विवेकानंद के उस वाक्य को आप युवाओं के बीच उद्धृत करना चाहूँगा कि
    “ ब्रह्मांड की सारी शक्तियाँ पहले से ही हमारी हैं ,हमें अपनी आँख पर हाथ रखकर चिल्लाना नही कि अंधेरा है |” स्वयं पर विश्वास रखें और बढ़ते रहें | मंज़िल निश्चित प्राप्त करंगे |
    देश के सम्मानित शैक्षणिक संस्थानों सहित, सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय ने प्रौद्योगिकी को बड़े पैमाने पर अंगीकार किया है। विगत की संकटमय परिस्थितियों में हमने जो सबक सीखे हैं, उनसे हमें यह पता चला है कि प्रोद्यौगिकी शैक्षणिक अनुभव को अंगीकार कर, इसे अधिकतम रूप से पहुँच योग्य, समावेशी और गतिशील स्वरूप प्रदान कर शैक्षणिक अनुभवों को आगे बढ़ा सकती है। हमने देखा है कि किस तरह आभासी प्रयोगशालाएँ छात्र-छात्राओं के लिए एक उच्च स्तरीय परीक्षणों में नए रास्ते खोल रहीं हैं, आन लाइन शिक्षा के माध्यम से महत्वपूर्ण चर्चायें वैश्विक स्तर पर संभव हो सकीं हैं ,एवं दूरियों की बाधाओं को डिजिटल माध्यम से दूर किया जा रहा है |
    हम जब इन उच्चतर तकनीक को अपनाते हैं , तब हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि हम इस तकनीक का उपयोग सामाजिक व मानवीय मूल्यों के साथ करें | प्रोद्यौगिकी को नवचारों के आदान-प्रदान में बढ़ावा देने और उन्हें विकसित करने में सहायक की भूमिका निभानी है, उन्हें विस्थापित करना नहीं है ।
    स्नातक के रूप में, आप विश्व में आज उस शिखर पर पहुँचे हैं जो कई अवसरों और अनिश्चितताओं से भरा पड़ा है। प्रौद्योगिकी -आधारित शिक्षा में आपने जो कौशल अर्जित किए हैं, उनसे आप अपनी सेवाएँ कुशलतापूर्व प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि आने वाले कल नवाचार और डिजिटल के अनुसार रूपांतरण होने वाला है। इसी के साथ, हमें यह भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि समानुभूति और सकारात्मक सोच भी समान रूप से परम आवश्यक हैं। आप इस परिवर्तन के मशालवाहक बनें, तकनीकी को विकास और समावेशिता के एक उपकरण के रूप में प्रयोग में लाएँ। और सदैव स्मरण रखें कि ज्ञान का अनुसरण-पथ एक आजीवन यात्रा है- एक ऐसी यात्रा जो परंपरा और नवाचार से समृद्ध है।
    इस अवसर पर मैं आप सभी स्नातकों को आपकी उल्लेखनीय उपलब्धि पर बधाई देता हूँ। हमें विकास की इस अनवरत यात्रा में, आने वाली शिक्षा परिदृश्य में प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित मानवीय मेधा की सीमाहीन क्षमता के प्रति अटल संकल्प के साथ गहरा सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए।

    और अंत में, आप सभी युवाओं को कहना चाहूँगा ,
    “ जो तूफानों में चलते जा रहे है
    वही दुनिया बदलते जा रहे हैं |”

    इन्ही शब्दों के साथ मैं आप सभी छात्रों को आपके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ |
    जय सिक्किम! जय भारत!