21.11.2024 : On the auspicious occasion of Lhabab Duechen, the Hon’ble Governor of Sikkim, Shri Om Prakash Mathur extends his warm greetings to the people of Sikkim. (In English & Hindi)
SKM/GOV/MSG/2924/57
On the auspicious occasion of Lhabab Duechen, the Hon’ble Governor of Sikkim, Shri Om Prakash Mathur extended his warm greetings to the people of Sikkim.
In his message, the Hon’ble Governor said “Lhabab Duechen is considered to be the day the Lord Buddha descended to the earth on the behest of his followers which epitomizes the compassion and benevolence of Lord Buddha towards mankind. This sacred day, regarded as one of the eight great deeds of the Buddha, signifies his selfless response to the persistent prayers and devotion of his followers.
It is believed that on this day, the effects of positive and negative actions are multiplied a million times. Let us take this opportunity to pray that our positive actions are amplified for the betterment and well-being of all sentient beings.
I implore the people of Sikkim to uphold the principles of love, compassion, and peace that Lord Buddha taught. May the virtues of compassion and benevolence preached by the Buddha illuminate the lives of the Sikkimese people and all sentient beings for eternity. Let us strive for actions that contribute to the greater good and bring peace and harmony”.
“ल्हाबाब ड्यूचेन” के अवसर पर सिक्किम के माननीय राज्यपाल का संदेश |
सिक्किम के माननीय राज्यपाल श्री ओम प्रकाश माथुर ने ल्हाबाब ड्यूचेन के शुभ अवसर पर राज्यवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित की हैं।
अपने संदेश में माननीय राज्यपाल ने कहा , “ल्हाबाब ड्यूचेन” के शुभ अवसर पर सिक्किम के लोगों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।
ल्हाबाब दुचेन का यह पवित्र पर्व हमें भगवान बुद्ध की शिक्षा और उनके द्वारा प्रसारित धर्म के महत्व को स्मरण करने का अवसर प्रदान करता है।
मान्यता अनुसार, ल्हाबाब ड्यूचेन उस अवसर को चिह्नित करता है जब भगवान बुद्ध अपने अनुयायियों के अनुरोध पर, अपनी शिक्षाओं को साझा करने और अपनी मां को संसार के चक्र से मुक्त करके उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे।
हमारा राज्य, सिक्किम, जिसे धर्मभूमि के नाम से भी जाना जाता है, हमेशा से विविधतापूर्ण धार्मिक परंपराएँ और संस्कृति का प्रतीक है।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर, मैं सिक्किम वासियों को भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए प्रेम, करुणा और सद्भाव के मूल्यों का अनुशरण करने का आग्रह करता हूँ।
भगवान बुद्ध की गहन शिक्षाएँ हमारा मार्गदर्शन करें और हमें सत्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहें तथा पूरे विश्व में शांति, स्थिरता और सद्भावना फैलाती रहें।
बुद्धं शरणं गच्छामि: !!