Close

    21.12.2024 : पूर्वोत्तर परिषद के 72वें पूर्ण सत्र में संबोधन

    Publish Date: December 21, 2024

    पूर्वोत्तर परिषद के 72वें पूर्ण सत्र में संबोधन
    21 दिसंबर, 2024 (अगरतला, त्रिपुरा)

    माननीय केंद्रीय गृह मंत्री एवं अध्यक्ष उत्तर पूर्वी परिषद, श्री अमित शाह जी,
    उपस्थित सभी राज्यपालगण एवं मुख्यमंत्रीगण,
    पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के मंत्री, श्री ज्योतिरादित्य एम.सिंधिया जी,

    सिक्किम की जनता की ओर से, मैं हमारे माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी और आज उपस्थित सभी सम्मानित महानुभावों का हार्दिक अभिवादन करता हूँ । इस प्रतिष्ठित सभा को संबोधित करना और 72वें पूर्ण सत्र में भाग लेना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उत्तर पूर्वी परिषद की बैठक हमारे पूर्वोत्तर क्षेत्र की आवाज़ को सामूहिक रूप से प्रस्तुत करने का एक प्रभावशाली मंच प्रदान करती है| मुझे पूर्ण विश्वास है कि आज की हमारी चर्चा उत्तर पूर्वी क्षेत्र के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालेगी और सामाजिक-आर्थिक विकास को तेज़ी से आगे बढ़ाने में मददगार सिद्ध होगी ।
    अपने समर्पित प्रयासों के माध्यम से, एनईसी ने सभी प्रमुख क्षेत्रों में पूंजी और बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है जो क्षेत्र की असमानता को पाटने में प्रभावशाली रहा है।
    दिसंबर 2022 में, पूर्वोत्तर परिषद की स्वर्ण जयंती मनाई गई । 2047 तक जब हम विकसित भारत की संकल्पना को साकार करेंगे, तब एनईसी के प्रभावशाली 75 वर्ष पूर्ण होने के साथ, हम एक और मील का पत्थर प्राप्त करेंगे। इसलिए यह आवश्यक है कि इसकी प्राप्ति की दिशा में हम एक स्पष्ट नीति और रोडमैप स्थापित करें, जिसे “विकसित नॉर्थ ईस्ट 2047” के रूप में मान्यता प्राप्त हो |
    जैसा कि हम अच्छी तरह से जानते हैं, उत्तर पूर्व क्षेत्र के विकास से भारत को समग्र विकास की ओर ले जाने की अभूतपूर्व क्षमता है | इसकी प्राप्ति के लिए अत्याधिक समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है | सिक्किम ने हाल के वर्षों में लगभग 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ स्थिर वृद्धि का प्रदर्शन किया है। उत्तर पूर्वी क्षेत्र पारंपरिक और हर्बल औषधीय संसाधनों से समृद्ध है। इन संसाधनों का व्यावसायीकरण और चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत क्षेत्रीय स्तर पर एक एथनो मैडिसिन और पर्यटन आयोग की स्थापना आवश्यक है।
    इस क्षेत्र में पर्यटकों को और अधिक आकर्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण रणनीतियों को विकसित करना आवश्यक है। इसके अंतर्गत निजी ऑपरेटरों के समन्वय के साथ निवेश होना चाहिए, जिसमें सरकार बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी प्रदान करने मे सक्षम हो ।
    2047 तक, सिक्किम पर्यटन के माध्यम से अपनी आय को दस गुना बढ़ा सकता है, हालांकि कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचा प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है | इसके लिए उत्तर पूर्व के अन्य राज्यों के स्थापित पर्यटन मार्गों के साथ एकीकरण भी आवश्यक है।
    जैसा की सभी को ज्ञात है, पूर्वोत्तर क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़ और भूस्खलन से अत्याधिक प्रभावित है। भारत सरकार के तत्काल और अटूट समर्थन से सिक्किम 4 अक्टूबर 2023 की विनाशकारी बाढ़ से उबर रहा है। माननीय केंद्रीय वित्त मंत्री जी का वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट भाषण, केंद्र सरकार की राज्य के प्रति पुनर्निर्माण और पुनर्वास प्रयासों का समर्थन करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। इसलिए, मैं प्रस्तावित निधियों की स्वीकृति और समय पर आवंटित करने का अनुरोध करता हूँ, जो राज्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।
    नेशनल हाईवे 10, जो राज्य की एकमात्र जीवन रेखा है और देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, साथ ही स्टेट हाईवे, जो गंगटोक को जिला मुख्यालयों से जोड़ते हैं, को तत्काल रखरखाव और उन्नयन की आवश्यकता है। निरंतर खराब मानसून ने इन सड़कों को भारी मात्रा में क्षतिग्रस्त किया है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था गहरे रूप से प्रभावित हुआ है।
    इसके लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, डोनर मंत्रालय और एनईसी से इन महत्वपूर्ण सड़कों के रखरखाव और उन्नयन के लिए का समर्थन चाहते हैं। इसी के साथ, वैकल्पिक राजमार्ग के निर्माण में भी तेजी लाना अत्यधिक आवश्यक है। NHIDCL के द्वारा एनएच-10 के रख रखाव के निर्णय का मैं सिक्किम की जनता की ओर से धन्यवाद व्यक्त करता हूँ |
    सिक्किम अन्य कनेक्टिविटी के संबंध में भी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है, राज्य का एकमात्र हवाई अड्डा, पाकयोंग जहां से उड़ान सीमित और अस्थिर रूप से संचालित होती हैं, हवाई अड्डे की समस्या का समाधान तत्काल करना और पाक्योंग हवाई अड्डे से अन्य उड़ान सेवाओं को संचालित करना सिक्किम सरकार के लिए अत्याधिक आवश्यक है जिसमे भारत सरकार की सहायता अपेक्षित है ।
    डोनर मंत्रालय और पूर्वोत्तर परिषद ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सिक्किम की विकासात्मक गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया है। हालांकि, हाल के वर्षों में राज्य को मिलने वाले सामान्य आवंटन में निरंतर गिरावट आई है। हमें यह भी सूचित किया गया है कि 15वें वित्त आयोग के तहत सामान्य आवंटन निधि समाप्त हो गई है, जिससे नए स्वीकृतियों पर प्रतिबंध है।
    मैं विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूँ कि डोनर मंत्रालय और उत्तर पूर्वी परिषद राज्यों को मिलने वाले वार्षिक सामान्य आवंटन को बहाल करें और सिक्किम द्वारा संचालित की जाने वाली महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त संसाधन प्रदान करें। वर्तमान में, सिक्किम का सामान्य आवंटन अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। हम आवंटन मानदंडों के पुनर्मूल्यांकन करने का आग्रह करते हैं ।
    अंत में, मैं यह प्रस्ताव रखता हूँ कि डोनर मंत्रालय, दूरसंचार विभाग, भारत सरकार से समर्थन प्राप्त करने में मदद करे, जिससे हिमालयी राज्यों में अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी की स्थापित हो सके, इन क्षेत्रों को अक्सर प्रतिकूल परिस्थिति और सीमित बुनियादी ढाँचे के विकास जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनके लिए एक एकीकृत और अनुकूलित रणनीति की आवश्यकता है।
    इस तरह की रणनीति न केवल संचार नेटवर्क को मजबूती प्रदान करेगी बल्कि आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास को भी प्रोत्साहित करेगी, जिससे इन क्षेत्रों के सभी निवासियों के लिए एक सुसंगठित डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा।
    अंत में, जैसे हमने अपनी उपलब्धियों एवं समस्याओं का जिक्र किया है उनके संबंध में मैं पूर्वोत्तर परिषद से सहयोग की अपेक्षा करता हूँ | केंद्र और राज्य सरकार का सहयोग और समर्थन हमारे नागरिकों के जीवन स्तर को और ऊपर उठाने और हमारे क्षेत्र के विकास में तेजी लाने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
    मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं पूर्वोत्तर परिषद के अध्यक्ष, गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के कुशल नेतृत्व में हमारी निरंतर भागीदारी और प्रतिबद्धता के साथ, अपने साझा लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे और एक समृद्ध और सुसंस्कृत पूर्वोत्तर भारत के लिए मार्ग प्रशस्त करेंगे।
    आइए, हम एकजुटता के साथ आगे बढ़ें, और एक समृद्ध और एकीकृत दृष्टि से विकसित भारत 2047 के सपनों को साकार करने के लिए मिलकर काम करें।
    धन्यवाद।
    जय हिंद!
    जय सिक्किम!