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    24.04.2025 : मिलिट्री सिविल फ्यूजन समापन समारोह में उद्बोधन

    Publish Date: April 24, 2025

    मिलिट्री सिविल फ्यूजन समापन समारोह में उद्बोधन
    24 अप्रैल, 2025

    सर्वप्रथम पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जान गँवाने वाले निर्दोष नागरिकों को श्र‌द्धांजलि अर्पित करता हूँ एवं उनके परिवारों के प्रति संवेदना प्रगट करता हूँ ।
    आज हम सिक्किम में भारतीय सेना और नागरिकों के बीच एक महत्वपूर्ण संयोजन के साक्षी बन रहे हैं, जो सैन्य और आम नागरिकों के बीच सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक नया कदम है। इस आयोजन से यह निश्चित होगा कि जब समाज जीवन के सभी अंग जिसमें सेना और समाज एकजुट होकर कार्य करेंगे तो न केवल सुरक्षा सुदृढ़ होगी, बल्कि स्थानीय विकास को भी गति मिलेगी।
    हमारा राज्य सिक्किम, जो तीन अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से घिरा हुआ है, भारतीय सेना और आम नागरिकों के बीच सहयोग और प्रतिबद्धता का अद्वितीय उदाहरण है। यहाँ भारतीय सेना केवल सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं रहती, बल्कि वह स्थानीय समुदायों की समृ‌द्धि और भलाई में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सेना के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के कार्य को भी बल मिलता है।

    इसी तरह, प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन और भारी बर्फबारी के दौरान, सेना और स्थानीय लोग असाधारण टीम भावना का परिचय देते हैं। राहत और बचाव कार्यों में सेना और स्थानीय नागरिक आपसी सहयोग से राहत कार्यों को अंजाम देते हैं, और लोगों के बीच एक गहरा आपसी विश्वास और संबंध भी स्थापित करते हैं। इस प्रकार का आपसी सहयोग राष्ट्रीय एकता और सामूहिक सहभागिता की भावना को प्रबल करता है।

    हम सभी इस बात से विदित हैं कि 3-4 अक्तूबर 2023 की मध्यरात्रि सिक्किम में आई भीषण बाढ़ के दौरान स्थिति को सामान्य करने के लिए भारतीय सेना ने किस प्रकार से तत्परता से कदम उठाए। संकट की स्थिति से उबरने हेतु भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सीमा सड़क संगठन और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सहित राष्ट्रीय आपदा राहत बल सभी ने स्थानीय लोगों के साथ सक्रियता के साथ कार्य किया | इस दौरान प्रभावित लोगों को आश्रय, भोजन, चिकित्सा सहायता और भावनात्मक समर्थन प्रदान करना, सेना और आम जनता के बीच के समन्वय, एकता और परस्पर विश्वास को दर्शाता है ।
    संघर्ष के समय में, हम सिर्फ सिक्किमवासियों के रूप में नहीं, बल्कि भारतीय सेना के साथ एकजुटता के साथ एक परिवार के रूप में खड़े हुए थे ।
    जैसा की हम सभी जानते हैं कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ पहल सीमावर्ती क्षेत्रों के व्यापक विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में अनूठी पहल है। इस योजना का उ‌द्देश्य ही देश की सीमा पर स्थित आखिरी गाँवों को पहले गाँव के रूप में मान्यता देकर, पलायन को रोकना, और स्थानीय लोगों को रोजगार तथा मूलभूत सुविधाओं का लाभ प्रदान कराना है। इसके तहत सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने के साथ, सुरक्षा के महत्व को भी सशक्त किया गया है। तकनीकी विकास, जैसे डिजिटल कनेक्टिविटी और सीमावर्ती क्षेत्रों में शिक्षा और व्यवसाय के अवसरों को बढ़ा रहे हैं। यह पहल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
    सिक्किम के 46 गांवों को ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ के अंतर्गत चयनित किया गया है और मेरे लिए यह प्रसन्नता का विषय है कि मेरे इन सीमावर्ती क्षेत्रों के भ्रमण के दौरान मुझे ‘वाइब्रेंट विलेज की परिस्थितियों और चुनौतियों को करीब से जानने और समझने का अवसर प्राप्त हुआ।
    मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि मेरे हाल के डोका ला पास के दौरे के दौरान, वापसी पर डिचू नामक गाँव में यहाँ के स्थानीय लोगों से बातचीत की और उनकी समस्याओं से अवगत हुआ, जहां गांव में बिजली आपूर्ति नहीं थी । जीओसी साहब उस समय साथ में थे, उनका ध्यान इस ओर आकर्षित हुआ और उन्होने आवश्यक कदम उठाते हुए इसे पूरा किया। यह सैन्य-नागरिक सहयोग का एक अनूठा उदाहरण है। मैं जीओसी, एवं उनकी सम्पूर्ण टीम को इस कार्य हेतु बधाई देता हूँ।
    इसी प्रकार, सिक्किम के ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर बच्चों की पहली हवाई यात्रा, पहली रेल यात्रा और पहली बार शहरी केंद्रों के भ्रमण का अवसर भी भारतीय सेना की त्रिशक्ति कोर के प्रयासों से ही संभव हुआ है जिसमें सदभावना मिशन के तहत “ राष्ट्रीय एकता यात्रा “माध्यम से देश के विभिन्न भागों की संस्कृति, भाषा से परिचय करवाया जा रहा है। यह यात्रा केवल एक भ्रमण नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, राष्ट्रीय गर्व और सामूहिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने का माध्यम है। सेना ने जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़कर यह संदेश दिया कि राष्ट्र सेवा केवल
    सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के उत्थान और युवाओं के भविष्य निर्माण में भी उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। यह प्रयास बच्चों की सोच को विस्तृत करती है और उन्हें भारत की अखंडता का साक्षात अनुभव कराती है ।
    रक्षा मंत्रालय के ऐतिहासिक निर्णय, रणभूमि दर्शन स्थलों के अंतर्गत सिक्किम के तीन सीमावर्ती पोस्ट – नाथु ला पास, चोला पास और डोकाला पास, रणभूमि दर्शन के रूप में चुने गए हैं। नाथु ला पास 1967 के भारत-चीन संघर्ष का साक्षी है, जहां भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय दिया। यह स्थल सैन्य गौरव को दर्शाने के साथ-साथ युवाओं और पर्यटकों को सेना के संघर्षों से जोड़ने का अवसर देता है।
    विशेष रूप से यह स्थल हमारे राजस्थान के मेजर जनरल सगत सिंह जी की बहादुरी का साक्षी है। इसी तरह, चोला पास, जो भारत-चीन संघर्ष का हिस्सा रहा है, भारतीय सेना की वीरता और बलिदान का प्रतीक है।
    पिछले वर्ष 11 सितंबर नाथुला दिवस के अवसर पर मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ विस्तृत चर्चा की थी कि इस वर्ष से नाथुला दिवस को ‘नाथुला विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाए, ताकि हम उन शौर्यवान योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अ‌द्वितीय योगदान दिया।
    मेरा यह मानना है कि, सिक्किम के स्थानीय उ‌द्योगों और युवाओं को सशक्त करने की दिशा में सेना के साथ सहयोग से कई कदम उठाए जा सकते हैं जिसमें स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए ऊनी वस्त्रों को सेना की पोशाकों में शामिल किया जा सकता है। युवाओं को सैन्य अनुसंधान और साइबर सुरक्षा में प्रशिक्षित किया जाए, ताकि उन्हें रक्षा क्षेत्र में अवसर प्राप्त हों।
    यह संयोजन सेना और आम नागरिकों को एक साथ लाकर 2047 तक विकसित भारत के विजन को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकने में मददगार सिद्ध होगी | आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए सिक्किम जैसे राज्यों में सेना और आम नागरिकों के सहयोग से प्राकृतिक संसाधनों और पर्यटन से नए अवसर उत्पन्न किए जा सकते
    हैं। साथ ही, तकनीकी नवाचार और युवाओं की प्रतिभा को सही दिशा देकर देश को वैश्विक मंच पर मजबूत किया जा सकता है। सामाजिक समानता, हरित ऊर्जा, और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए, सिक्किम की विषम भौगोलिक परिस्थिति के बावजूद पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है। सेना और नागरिकों के बीच सहयोग से राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करते हुए समृद्धि और समान अवसरों की स्थापना हो सकती है।
    मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस प्रकार संगोष्ठी में किए गए विचार-विमर्श के माध्यम से विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने की दिशा प्राप्त होगी।
    यह हमारी संयुक्त कोशिश है जो इन प्रयास को एक नई ऊंचाई तक ले जाएगी। आगे भी इसी तरह अपने विचार साझा करते रहें और इस पहल को बढ़ावा देने में सहयोग करते रहें।
    आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !
    जय सिक्किम !
    जय हिन्द !