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    17.11.2024 : दीक्षांत अभिभाषण: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान

    Publish Date: November 17, 2024

    दीक्षांत अभिभाषण: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान
    17 नवंबर, 2024
    आज राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सिक्किम के सातवें दीक्षांत समारोह में शामिल होना मेरे लिए अत्यंत हर्ष का विषय है। इस ऐतिहासिक अवसर पर, मैं आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। यह क्षण उन दूरदर्शी मनीषियों को नमन करने का भी है, जिन्होंने इस संस्थान की स्थापना एक महान दृष्टिकोण और उद्देश्य के साथ की, ताकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक उच्चतम शिखर हासिल किया जा सके। साथ ही, मैं यहाँ उपस्थित सभी पदक विजेताओं और डिग्री प्राप्तकर्ताओं को उनकी कठिन साधना और उपलब्धियों के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ। आज का दिन न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है, बल्कि यह हमारे देश के भविष्य निर्माण की दिशा में भी एक सशक्त नींव है।
    सिक्किम की बात की जाए तो यह राज्य भारत के सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता का एक जीता-जागता प्रतीक है। जिस प्रकार हमारा देश अनेकता में एकता की भावना से जुड़ा है, उसी प्रकार सिक्किम ने पूरे भारत की सांस्कृतिक विशेषताओं को अपने आँचल में समेट रखा है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सिक्किम इसका जीता जागता उदाहरण है, जहाँ विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्र अपने ज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए एकत्रित होते हैं। मुझे यह जानकर गर्व हुआ कि विभिन्न चुनौतियों के बावजूद यह संस्थान इंजीनियरिंग, विज्ञान, आईटी, मानविकी और सामाजिक विज्ञान जैसे विविध क्षेत्रों में छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए निरंतर प्रयासरत है।
    महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा है कि “शिक्षा का उद्देश्य केवल तथ्यों का संग्रहण नहीं है, बल्कि मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना है।” इसी भावना के साथ प्रोफेसर महेश चंद्र गोविल और यहाँ की संपूर्ण संकाय टीम न केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र बल्कि पूरे भारत में शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक योगदान देने का प्रयास कर रही है, जो वास्तव में सराहनीय है। उनके इस प्रयास से इस क्षेत्र में शिक्षा और विकास का प्रकाश फैल रहा है।
    प्रिय विद्यार्थियों, दीक्षांत समारोह एक विशेष अवसर है जो आपकी मेहनत और समर्पण का साक्षी बनता है। यह आपकी यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहाँ आप अपने भविष्य के सपनों की दिशा में प्रस्थान करते हैं। इस उपलब्धि का जश्न मनाते हुए हम आपके उज्ज्वल भविष्य की अनगिनत संभावनाओं का स्वागत भी करते हैं। डिग्री के साथ-साथ आपके कंधों पर बढ़ती जिम्मेदारियों का भार भी है, जो समाज और राष्ट्र के प्रति आपकी प्रतिबद्धता का परिचायक है।
    डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रेरणादायक शब्द “शिक्षा शेरनी का दूध है, जो इसे पिएगा वह दहाड़ेगा,” आपके आत्मविकास और समाज के प्रति उत्तरदायित्व को प्रकट करने का मार्गदर्शन करेंगे। मुझे विश्वास है कि आप सभी, अपने व्यक्तिगत जीवन में समृद्धि की ओर निरंतर अग्रसर होंगे और राष्ट्र निर्माण में भी अपना अभूतपूर्व योगदान देंगे। आप सभी से आग्रह है कि शिक्षा की ज्योति के साथ-साथ राष्ट्रीय चेतना की ज्योति भी जलाए रखें। यह शिक्षा ही है जो समाज के उत्थान और राष्ट्र के विकास में अहम भूमिका निभाती है।
    तकनीक और नवाचार भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं। हमारी प्राचीन धरोहरें, चाहे वह सिविल इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना हों या चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद का योगदान, हमारी सांस्कृतिक धरोहरों का प्रमाण हैं। कोविड-19 महामारी के दौरानभी हमने देखा कि आयुर्वेदिक काढ़ा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कितना कारगर साबित हुआ। आज भी भारतीय मूल के कई लोग विश्व पटल पर भारत का परचम लहरा रहे हैं।
    प्रिय विद्यार्थियों, प्रौद्योगिकी में अद्वितीय शक्ति है, और आप इस शक्ति के वास्तविक अधिनायक हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में ‘स्टार्ट अप इंडिया’, ‘स्टैंड अप इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी योजनाओं का लाभ उठाते हुए अपने तकनीकी ज्ञान का विस्तार करें। नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छूने का प्रयास करें। इसके साथ ही हमारे महान विद्वानों जैसे आर्यभट्ट, चरक, सुश्रुत, वराहमिहिर और भास्कराचार्य द्वारा दिए गए योगदानों को समझें और उनसे प्रेरणा लें। गणित, खगोल, विज्ञान, धातुकर्म, चिकित्सा, सर्जरी, वास्तुकला, जहाज निर्माण जैसे क्षेत्रों में उनकी उपलब्धियाँ आज भी हमारा मार्गदर्शन करती हैं।
    हमारे देश में तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे विश्व प्रसिद्ध शिक्षा संस्थान रहे हैं, जिन्होंने अपने समय में ज्ञान के प्रसार के उच्चतम मानक स्थापित किए। 21वीं सदी, ज्ञान की सदी है, और आज के समाज में ज्ञान का महत्व संपत्ति से कहीं अधिक हो गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के अनुसार, यह सदी भारत की सदी है, और इस दिशा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक सशक्त आधार प्रदान करती है। इस नीति ने शिक्षा में एक नए युग की शुरुआत की है और यह नीति भविष्य में भारतीय युवाओं को एक वैश्विक नेतृत्व की भूमिका में लाने में सहायक होगी।
    इस मंच से मैं यह कहना चाहता हूँ कि आप सभी अपने ज्ञान का उपयोग केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए न करें, बल्कि इसे समाज और राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान के साधन के रूप में देखें। मुझे पूर्ण विश्वास है कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानसिक्किम, राज्य और राष्ट्र की प्रगति को आगे बढ़ाने में पूरी तरह सक्षम है।
    अंत में, यह याद रखें कि जिस प्रकार एक हीरा उच्च ताप और दबाव में बनता है, उसी तरह जीवन की चुनौतियाँ हमें बेहतर भविष्य के लिए तैयार करती हैं। इन कठिनाइयों को अवसरों के रूप में देखें और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करें। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपकी मेहनत राष्ट्र के विकास में एक सशक्त माध्यम बनेगी। इस महत्वपूर्ण अवसर पर मैं सभी सफल छात्रों, उनके माता-पिता, अभिभावकों, और संकाय सदस्यों को हार्दिक बधाई देता हूँ। मेरा विश्वास है कि यह संस्थान भविष्य में भी राज्य और राष्ट्र के लिए शिक्षा की एक ऊर्जामयी ज्योति बन कर रहेगा।
    जय भारत! जय सिक्किम!