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    14.04.2025 : भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती के अवसर संबोधन

    Publish Date: April 14, 2025

    भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती के अवसर संबोधन
    14 अप्रैल, 2025

    भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर मैं सभी सिक्किम वासियों और यहाँ उपस्थितजनों का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।
    प्रिय मित्रों,
    आज का दिन हम सबके लिए विशेष है, क्योंकि हम भारत के उन महापुरुष को नमन करने के लिए एकत्रित हुए हैं जिनकी दूरदृष्टि ने भारत की सामाजिक संरचना को नया आयाम दिया। ‘बाबासाहब’ डॉ. अम्बेडकर का न केवल संविधान निर्माण में प्रमुख योगदान था, बल्कि उन्होने समाज के वंचित वर्गों में समानता, समता और सम्मान स्थापित करने हेतु अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया |
    यदि हम बाबा साहब के जीवन पर नज़र डालें, तो उनका जीवन संघर्ष, दृढ़ता, और सफलता की मिसाल है। बचपन में समाज की परंपरागत कुरीतियों ने उनकी राह में बाधाएँ खड़ी कीं, लेकिन उन्होंने इन चुनौतियों का न केवल सामना किया, बल्कि उन्हें परास्त भी किया। उनके विद्यार्थी जीवन की कठिनाइयाँ, आर्थिक संघर्षों और सामाजिक विरोधों के बावजूद उनकी अदम्य इच्छाशक्ति ने उन्हें हर कठिनाई को पार करने में मदद की और अपने उद्देश्य के प्रति लगन ने उन्हें कभी हारने नहीं दिया।
    डॉ. अंबेडकर का जीवन यह दर्शाता है कि कैसे संघर्षों से भागने के बजाय उनसे लड़कर उन्हें अवसर में बदलना चाहिए।
    बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। उन्हें एक महान न्यायविद, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, समाजसेवी, इतिहासकार और अर्थशास्त्री के रूप में जाना जाता है। वे एक ऐसे सपूत हैं जिनके विचारों और कार्यों ने भारतीय समाज को न्याय और समानता की राह पर अग्रसर किया।
    प्रिय मित्रों,
    बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के नेतृत्व में भारत का संविधान ऐसा दस्तावेज़ बना जिसने समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व के मूलभूत सिद्धांतों को अपनाया। वह संविधान जो जाति, धर्म, लिंग, और आर्थिक स्थिति से परे हर नागरिक को अधिकार प्रदान करता है।
    बाबा साहेब ने अनेक ऐसे प्रावधान जोड़े, जिन्होंने हमारे समाज की दिशा और दशा दोनों को बदलने मे प्रमुख भूमिका निभाई है |
    बाबा साहेब ने जातिगत भेदभाव और दलित वर्गों के प्रति समाज में फैली विषमता के खिलाफ आवाज उठाई। यह प्रावधान उनके सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण का प्रतीक है।
    उन्होंने समवेशी विकास प्रणाली की स्थापना की, ताकि पिछड़े वर्गों को शैक्षिक और व्यावसायिक क्षेत्र में समान अवसर प्राप्त हो सके। उन्होंने हर व्यक्ति को मतदान का अधिकार और आर्थिक रूप से वंचित समुदायों को मुख्यधारा में शामिल करने का दृष्टिकोण संविधान में शामिल किया।
    बाबा साहेब ने महिलाओं की सामाजिक स्थिति को सुधारने और उन्हें हर क्षेत्र में समानता प्रदान करने की पहल की।
    बाबा साहेब का योगदान केवल कानूनी स्तर तक सीमित नहीं है; उन्होंने भारत के सामाजिक ढांचे को मूल रूप से बदलने का प्रयास किया।
    उनकी विचारधारा और संविधान के प्रावधान आधुनिक भारत के निर्माण में मील का पत्थर हैं। उनके नेतृत्व का हर पहलू सामाजिक न्याय, समावेशिता, और समानता को बढ़ावा देता है।
    बाबा साहेब की संकल्पना का जो भारत है उससे आज बहुत हद तक लोगों के जीवन में परिवर्तन और खुशहाली आयी है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में अनुसूचित जातियों के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं और नीतियां लागू की हैं। उनके नेतृत्व में सरकार ने सामाजिक न्याय और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए हैं।
    2021-22 से लागू प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना, कौशल विकास कार्यक्रम, बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना, अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन, छात्रवृत्ति लाभ, SABCCO और अन्य सामुदायिक विकास योजनाओं के जरिए, सरकार डॉ. अंबेडकर के न्याय और समानता पर आधारित समाज के सपने को साकार करने की दिशा में कार्यरत है। ये योजनाएं अनुसूचित जातियों के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के साथ-साथ समावेशी विकास का रास्ता तैयार कर रही हैं। सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि कोई भी नागरिक अवसरों और कल्याणकारी प्रयासों से वंचित न रहे।
    प्रिय मित्रों,
    बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे महान व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि देने के लिए केवल उनके चित्र और प्रतिमा पर माल्यार्पण करना पर्याप्त नहीं हो सकता। उनके जीवन की शिक्षाओं, संघर्षों और उपलब्धियों को समझना और साझा करना ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आज उनकी जयंती पर उनका केवल सम्मान ही नहीं, बल्कि उनका ज्ञान और विचार नई पीढ़ी तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
    आज के युवा को उनके संघर्षों को जानने और उनसे सीखने का अवसर देना,वास्तव में उनके विचारों को सजीव रखने का तरीका है। उनकी जीवन यात्रा हमें सिखाती है कि कैसे कठिनाइयों के बावजूद शिक्षा, दृढ़ता और सेवा से समाज को बदला जा सकता है। यह अवसर है कि हम उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाएं और समाज में समरसता स्थापित करें।

    हमारा राज्य सिक्किम, भेदभाव रहित समाज के निर्माण में अग्रणी रहा है और अन्य राज्यों का नेतृत्व करने में सक्षम है, ऐसा मेरा मानना है।
    आज, जब हम अपने राज्य सिक्किम के 50वें वर्ष के ऐतिहासिक सफर का जश्न मना रहे हैं, यह हमारे लिए एक गर्व और आत्ममंथन का अवसर है। यह समय न केवल हमारे विकास और उपलब्धियों का उत्सव मनाने का है, बल्कि उन मूल्यों और सिद्धांतों को सुदृढ़ करने का भी है जिन पर हमारा राज्य खड़ा है।
    सिक्किम ने सामाजिक समता और समरसता का ऐसा समाज निर्मित किया है, जो प्रशंसा का पात्र है। एक ऐसा राज्य जहां हर व्यक्ति को अवसर मिले, उनके सपने सच हों और समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जाए।

    हमारे राज्य का “सुनौलो, समृद्ध और समर्थ सिक्किम” का विज़न एक समावेशी, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान प्रदान कर रहा है और विकसित भारत की परिकल्पना को आगे बढ़ाने का अद्भुत अवसर है। इस सफलता के लिए सारे सिक्किमवासी बधाई के पात्र है और मैं आशा करता हूँ कि यह सामाजिक समरसता और भाईचारा भविष्य में भी कायम रहेगा।
    आइये, आज के इस अवसर पर, हम सब मिलकर यह प्रण ले कि सिक्किम समानता, विकास और सशक्तिकरण का प्रतीक बन सके। बाबा साहेब अम्बेडकर जी के जीवन आदर्श हमारे साथ-साथ आने वाले पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने ।
    इन्हीं शब्दों के साथ अपने विचारों को विराम देता हूँ।
    आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
    जय भारत !
    जय सिक्किम।